lalita kashyap

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लावणी छंद




लावणी छंद

विधा गीत 
मात्रा 16/14

विषय -छू पाए जो अंतर्मन को,आओ सार्थक सृजन करें।

सुंदर शब्दों के फूलों से ,मन मोहिनी सुगंध भरे।
चितवन सबके बाग- बाग हो, कोंपल गीत फुहार झरे।

कविता रूपी संग कामिनी , नया खेल ही रचा करें।
नित्य नए छंदों की रचना, से निज आंचल भरा करें।
गूंज उठे जो नई रागिनी, तान- ताल झंकार झरे।
छु पाए जो अंतर्मन को ,आओ सार्थक सृजन करें।
सुंदर शब्दों के फूलों से ,मन मोहिनी सुगंध भरे।
चितवन सबके बाग -बाग हो, कोंपल गीत फुहार झरे।


मिटा पाए जो पर वेदना, हृदय पीड़ जो मिटा सके।
मुख मंडल पर हो प्रसन्नता, प्रेम की आभा छा सके।
बहे मधुर शब्दों की सरिता, सरस सुलभ सरताज धरें।
छु पाए जो अंतर्मन को, आओ सार्थक सृजन करें।
सुंदर शब्दों के फूलों से, मन मोहिनी सुगंध भरे।
चितवन सबके बाग- बाग हो , कोंपल गीत फुहार झरे।


ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश




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4 Comments

सुन्दर सृजन

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Shnaya

12-Dec-2023 10:47 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 07:57 PM

👌👏

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